कुरान के प्रकाश को जीवन में लाने का महीना है रमजान

कुरान के प्रकाश को जीवन में लाने का महीना है रमजान
डॉ अदनान उल हक़ खान,नागपुर
रमजान का सबसे बड.ा महत्व यह है कि इस पवित्र महीने में कुरान-ए-पाक का अवतरण हुआ. इस महीने के आखरी दस दिन की एक रात में कुरान का अवतरण आरंभ हुआ. यानी वह रात जिसे शबे कद्र कहते हैं, जो 21, 23, 25, 27 और 29वें रोजे के दरमियान होती है. यह दिन मानो कुरान शरीफ का उत्सव है और रमजान का महीना कुरान से निकलने वाले प्रकाश को अपने जीवन में लाने का महीना है. कुरान ग्रंथ जिसे पूरी मानव जाति के मार्गदर्शन के लिए उतारा गया, जिसमें अल्लाह ने इंसानों के सफल जीवन का मार्ग बताया. पवित्र कुरान की शिक्षाओं पर ही कुछ गैर-मुस्लिम विद्वानों ने भी प्रकाश डाला है जो कुरान की मानवतावादी शिक्षाओं को पेश करती है. महात्मा ज्योतिबा फुले कहते हैं, ‘मुस्लिम लोग, खुदा के निर्माण किए सभी मानव को भाई मानते हैं और इस प्रकार से सभी मानव को कुरान पढ.ने और उसका आचरण करने की अनुमति है.’
उल्लेखनीय है कि कुरान में अल्लाह ने सभी को आदम और हव्वा की औलाद बताते हुए एक-दूसरे का भाई करार दिया है.
छत्रपति शिवाजी महाराज ने सैनिकों को आदेश दिया था, ‘यदि युद्ध के दौरान तुम्हारे हाथ कुरान लगे तो उसे मस्जिद में जमा करना’, क्योंकि शिवाजी महाराज की श्रद्धा थी कि कुरान किसी मानव का लिखा हुआ नहीं बल्कि ईश्वरीय ग्रंथ है.
शंकराचार्य देवानंद सरस्वती कहते हैं, ‘इस्लाम ईश्वर का निर्माण किया हुआ सिद्धांत है. यह किसी व्यक्ति का तत्वज्ञान नहीं. यह तो सनातन धर्म है. जिसका संदेश ऋषि-मुनियों ने दिया है कि सबका परमात्मा एक ही है. इस्लाम का मूलमंत्र (कलमा) में सभी वेदों का सार समाया हुआ है.
इसलिए उसके अनुसार आचरण करने से ज्यादा बड.ा धर्मात्मा कौन हो सकता है.’ कुरान की सीख यदि सारे संसार में पहुंचाई जाए, तभी शांति स्थापित हो सकती है. इसे आतंकवाद से जोड.ने वाले लोग शैतान की औलाद हैं. इसी तरह थॉमस कारलायल सहित अनेक विद्वानों ने कुरान की शिक्षाओं पर अपने विचार रखे हैं.
डॉ अदनान उल हक़ खान,नागपुर