इस्लाम के सिद्धांतों से ही मुस्लिम का अस्तित्व..

इस्लाम के सिद्धांतों से ही मुस्लिम का अस्तित्व..
डॉ अदनान उल हक़ खान,नागपुर
इस्लाम के मानने वालों को कुछ सिद्धांतों और धारणाओं पर दृढ. विश्वास रखना आवश्यक है. इन पर ईमान (विश्वास) लाकर ही इंसान मुस्लिम हो सकता है. इनमें तौहीद (एकेश्वरवाद) : संपूर्ण ब्रह्मंड का निर्माता, एक अल्लाह है. जानवरों से लेकर पेड.-पौधे, पर्वतों, इंसानों को उसने उत्पन्न किया है. अल्लाह के सिवा कोई उपासना के योग्य नहीं. भक्ति का अधिकार उसके प्रति है. उसकी खुदाई में कोई भागीदार नहीं. वह सर्वशक्तिमान, जबर्दस्त, सार्मथ्यवान और ज्ञानी है. इन सब बातों को मानना ही एकेश्वरवाद है. इसके अलावा प्रेषितल (रिसालत) है. अल्लाह ने इंसानों की उत्पत्ति के पश्चात उनके मार्गदर्शन की पूर्ण व्यवस्था की. इसके लिए उसने इंसानों में से ही कुछ लोगों को समय-समय पर अपना ईश्वर दूत बनाकर भेजा. इनमें पहले प्रेषित आदम (अ.) थे. इस प्रकार अनेक प्रेषित धरती पर आए और अंत में पैगंबर मोहम्मद (स.) आए. एक मुस्लिम व्यक्ति को सभी प्रेषितों को अल्लाह का ईश्वर दूत मानना आवश्यक है. लेकिन सत्य मार्ग सिर्फ पैगंबर मोहम्मद (स.) का ही है, क्योंकि बाकी सभी प्रेषितों की शिक्षाओं में बदलाव कर दिए गए हैं. मुसलमान का यकीन फरिश्तों पर होना भी आवश्यक है.
फरिश्ते अल्लाह की एक मखलूक (उत्पत्ति) हैं. साथ ही आखिरत (परलोकवाद) पर विश्वास हो. दुनिया एक परीक्षा स्थल है. यहां मानव को एक प्रश्नपत्रिका दी गई है. सत्य और असत्य मार्ग बता दिया गया है. अब जो एक अल्लाह की उपासना करेगा, उसके बताएमार्ग पर चलेगा वह सफल होगा. उसे कयामत बदले के दिन जन्नत मिलेगी. इसके विपरीत असफल इंसान को नर्क मिलेगा. यह दिन धरती के समाप्त होने पर आएगा. यही परलोकवाद सिद्धांत है. इसके अलावा किस्मत पर विश्वास भी हो. इन सिद्धांतों को स्वीकारने के लिए इंसान को कलमा पढ.ना होता है. जिसका अर्थ है अल्ला के सिवा कोई उपासना के योग्य नहीं. पैगंबर (स.) अल्लाह के प्रेषित हैं.
डॉ अदनान उल हक़ खान,नागपुर