अल्लाह के नजदीक तमाम इंसान बराबर

अल्लाह के नजदीक तमाम इंसान बराबर
डॉ अदनान उल हक़ खान,नागपुर
इस्लाम एक खुदा को मानने का दावेदार है. वह कहता है कि अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं है. इबादत का वास्तविक अधिकार उसी के प्रति है. एक मुसलमान के समीप अल्लाह सर्वशक्तिमान भी है, सृष्टि रचयिता भी है और उसका पालनहार भी. न उसके सामने कोई है और न ही उसका मुकाबला किसी से किया जा सकता है. ईश्वर के संदर्भ में एक मत यह भी है कि यह विश्व बिना किसी निर्माता के उत्पन्न हुआ किंतु यह तथ्य उचित नहीं लगता क्योंकि कोई बुद्धिमान यह मान नहीं सकता कि किसी निर्माता के बगैर एक घर, इमारत भी बन सकती है? यह पृथ्वी, सूर्य, चंद्र, आकाश, गृह, तारे, जो किसी तालबद्ध यंत्र की भांति कार्य कर रहे हैं. उससे स्पष्ट होता है कि इस तालबद्ध कारखाने को चलाने वाला अवश्य ही कोई है. इसी प्रकार इस सृष्टि के एक से ज्यादा खुदा नहीं हो सकते जिस प्रकार एक शाला के दो मुख्याध्यापक नहीं हो सकते. अगर एक से अधिक ईश्वर होते तो क्या होता, इस विषय में पवित्र कुरान में लिखा है, ‘अगर ऐसा होता तो आपस में छीना-झपटी भी होती और एक-दूसरे से आगे बढ. जाने का प्रयत्न होता. ऐसे में आकाश और पृथ्वी खून- खराबे से भर जाते’. कुरान में यह उल्लेख तब हुआ जब पैगंबर साहब से उनके साथियों ने इस तरह का सवाल किया था. इस्लाम अल्लाह को न किस इंसानी शक्ल में चित्रित करता है, न उसका चित्रण रखता है कि जैसे वह दौलत, शक्ति और नस्ल की बुनियाद पर कुछ व्यक्तियों को अपना समझता हो बल्कि वह तमाम इंसानों को अपना समझता है. उन तमाम इंसानों को समान समझता है. इंसानों के प्रति ईश्वर (अल्लाह) की मोहब्बत के संदर्भ में पैगंबर साहब कहते हैं ‘एक मां के मुकाबले में अपने बंदों पर अल्लाह ज्यादा दया करने वाला है.’ परंतु वह न्यायी भी है ताकि गलत काम करने वालों को पूरी सजा मिल सके और भला काम करने वाले इनाम पा सकें. ईश्वर जैसा कोई नहीं वह सृष्टा है जो अमर, अनादि, अनंत है. वह आत्मनिर्भर भी है और स्वावलंबी भी है.
डॉ अदनान उल हक़ खान,नागपुर